आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सकों को झोलाछाप कहने वालों, इस मेसेज को ध़्यान से पढ़े आैर जाने कि आखिर कौन है ये झोलाछाप चिकिसक.?
❇ हंमेशा से ही ऐलोपैथी विज्ञान, आयुर्वेद को आधारहीन एवं किसी काम का नही कहकर आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक चिकित्सकों की बेइज्जती करते आये हैं लेकिन सभी पैथियों की जननी तो प्रकृति ही है। क्योंकि अगर आयुर्वेद या प्रकृतिक सुविधायें न होती तो आज ऐलोपैथी शायद नही होती। ❇ ऐलोपैथी मे उपयोग होने वाली महत्वपूर्ण दवाइयां वर्णन है जिसमें ये "आयुर्वेदिक प्लान्ट" से बनती है। जानिये केसे ऐलोपैथी दवाइयों के ऊपर आयुर्वेदिक आैषधियों को लेटिन या अंग्रेज़ी नाम देकर अपनी चिकित्सा पैथी की मोहर लगा देते है। (1) Tinacardin - ये दवाई गिलोय के सत्व से बनती है। (2) Curcumin- ये दवाई हमारे घरों में प्रयुक्त हल्दी सत्व से बनती है। (3) Coral - ये दवाई प्रवाल पिष्टी से बनने वाली दवाई है। (4) Hyprobromide - यह दवाई खुरासानी अजवाइन का ऐक्ट्रेक्ट है। (5) Quinone - यह दवाई कुनैन की जड़ से तैयार होती है। (6) Pentaprazole - यह दवाई खाने वाले सोडा से तैयार होती है। (7) Pramhexin - यह ऐलोपैथी दवाई वासा सत्व से बनती है। (8) Revocin - ये दवाई सर्पगंधा के ऐक्ट्रेक्ट से बनी होती है। (9) Ginseng - ये चाइनीज़ जिनसेंग नामक जड़ी से बनती है। (10) Diclpfenac- ये दवाई अफिण से बनाइ जाती है। (11) Colcicine - ये दवाई सुरंजन नामक जड़ी या आैषधी से बनती है। (12) Taxol - ये द्रोणपुष्पी के ऐक्ट्रेक्ट से बनाइ जाती है। (13) Atropine - ये धतूरे के पत्ते से बनाई जाने वाली ऐलोपैथी दवाइ है। (14 ) Eno - इनो 100% आयुर्वेदिक औषधि से बनाइ जाती है। ❇ उपर बताई गई ऐलोपैथी दवाइयो मे 100% जड़ी बूटियों को या आयुर्वेदिक औषधियों को लेकर इसका ऐक्ट्रेक्ट या सत्व निकालकर उनको लेटिन नाम देकर अंग्रेजी दवाइयो का नाम बनाकर, मार्केट मे खूब धड़ल्ले से बिक रही है आैर लोग इसको खुब खा भी रहे हे। यह जानकारी अब आपको ये तो एहसास दिलायेगी कि हम प्राकृतिक चिकिसक सरल हो सकते हैं, साधारण हो सजते हैं, झोलाछाप भी हो सकते हैं परंतु अनपढ़ और गंवार नहीं है और वो 5000 साल पुरानी चिकित्सा पद्धति को आधार बना कर चल रहे हैं।
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